Monday, September 14, 2020

रिव्यू : उरी हमले की याद ताजा करती 'द हिडन स्ट्राइक'

 द हिडन स्ट्राइक फ़िल्म उरी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान में कई गई सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित है। जी हाँ वही स्ट्राइक जिसे तथाकथित वामियों ने फर्जीकल स्ट्राइक कहा और इसके सबूत भी भारत सरकार से मांगे थे। सबूत मांगना एक अलग प्रतिक्रिया है और उस पर फ़िल्म बनाना अलग। फ़िल्म  आर्मी ऑफिसर की कहानी बयां करती है, जो अपने आलाकमान की अनुमति से सीमा पार अपने सबसे अच्छे लोगों के साथ एक गुप्त मिशन पर जाता है और अंततः सफल होता है।  कहानी काउंटर अटैक पर एक व्यंग्य है हालांकि उनके पास सभी नवीनतम संसाधन और गोला-बारूद हैं।  फिल्म एक भारतीय के रूप में आपके गुस्से को भड़का सकती है कि कैसे हमारे सैनिक हमलों में अपनी जान गंवाते हैं। 

लोकेशन वार फील्ड का वास्तविक एहसास देते हैं।  संगीत, ग्राफिक्स, स्टोरीलाइन और स्टार कास्ट कुलमिलाकर औसत हैं। यह फ़िल्म नेपोटिज्म को एक गंभीर झटका देती है क्योंकि इसमें नए कलाकारों को लिया गया है।  फिल्म कलाकार दीपराज राणा, मीर सरवर, जिमी शर्मा, संजय सिंह, लाखा लखविंदर, वेदिता प्रताप सिंह और दिल्ली बिहार गुजरात, पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर के थिएटर कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।  इस फिल्म में दिखाई गई गहरी पीड़ा हमारे वास्तविक नायकों के जीवन के नुकसान के खिलाफ हमारे दिलों को आगे बढ़ाती है और यह भारतीयों के लिए एक मस्ट वॉच फिल्म है।

 संगीत हमारे दिलों में एक गूँज समान है। लेकिन इस फ़िल्म का गीत संगीत निम्न स्तर का है। कहानी और स्क्रीनप्ले भी कसे हुए नहीं लगते।  निर्देशक सुजाद इकबाल खान ने कहानी के साथ-साथ लेखक अभिनाश सिंह चिब और सागर झा को भी कहानी पटकथा और संवादों के साथ उनका साथ लिया है। क्रिस्टल मूवीज के बैनर तले निर्मित की गई इस फ़िल्म में अभिनेता जिमी शर्मा ने अपने अभिनय कौशल से साबित करते हैं कि उन्होंने अपने पावर पैक के प्रदर्शन के माध्यम से सभी के दिलों को और आंखों को भावुक कर दिया।

 एक आर्मी मैन के वास्तविक जीवन को 'द हिडन स्ट्राइक' में चित्रित किया गया है, जहां देश स्वयं से पहले आता है, परिवार से पहले कर्तव्य आता है।  उनकी प्रतिबद्धता, निष्ठा और वीरता वे तत्व हैं जो आपको अंत तक स्क्रीन पर चिपकाए तो रखते हैं लेकिन नाकाम कोशिश के साथ। इस तरह की फ़िल्म को देखने के लिए अंदर जोश आना चाहिए और मुठियाँ भींच जानी चाहिए हथेलियों में पसीना आ जाना चाहिए लेकिन अफसोस ऐसा कुछ नहीं हो पाता। और देशभक्ति के नाम पर आप ठगे जाते हैं। इससे बेहतर तो ये हो कि इस फ़िल्म को न देखकर साल 2016 की खबरें ही एक बार पुनः देख ली जाएं तो कुछ देशभक्ति तो पैदा होगी। सहयोगी कलाकारों के लिए करने लायक कुछ ज्यादा है नहीं। इस फ़िल्म को देखने से बेहतर है उरी फ़िल्म को देख लिया जाए। 


शेमारूओ बॉक्स ऑफिस

निर्देशक: सुज़ाद इकबाल खान

कास्ट: दीपराज राणा, मीर सरवर, जिमी शर्मा, संजय सिंह, लाखा लखविंदर, वेदिता प्रताप सिंह, अमित अंतिल आदि। 

 निर्माता: विजय वल्लभानी और सोनू जैन

 बैनर: क्रिस्टल मूवीज

 शैली: एक्शन थ्रिलर

 अपनी रेटिंग: ढाई  स्टार


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