यह है श्री सिमरू सिंह (मूल निवासी कनखल, हरिद्वार) कड़ी मेहनत और ईमानदारी से अपना गुजारा करने वाले 96 वर्ष के इस फुर्तीले बुजुर्ग से भेंट हुई। 15 वर्षों से गोपेश्वर (उत्तराखंड) नगर पालिका परिषद के पास सड़क किनारे बूट-पॉलिश करते हैं। एक समय जूता बनाने में महारथ हासिल रखने वाले इस मेहनती ने व्यापार में बड़ा घाटा हुआ, जिसके फलस्वरूप सड़क किनारे बूट-पॉलिश करने पर मजबूर होना पड़ा।
इनसे मिलकर और इनकी काम करने की फुर्ती देखकर किसी भी आलसी युवा को शर्म आनी लाज़मी है।
ऐसे कर्मठ और ईमानदारी लोग ही समाज मे मिशाल बनते हैं। प्रायः जहाँ आजकल सड़को पर युवा माथे पर त्रिपुंड लगाए, चोटी बढ़ाएं, हाथ में कटोरा रखकर भीख मांगते मिल जाते हैं, वहीं सिमरू सिंह जैसे व्यक्ति समाज में निठल्लों और आलसियों के समक्ष सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। मैं इन्हें देखकर बहुत प्रभावित हुआ। हम स्वस्थ और युवा होने के बावजूद अक्सर अपने कामों में आलस कर ही जाते हैं, परन्तु यह आदमी जिस सिद्दत से अपने काम को अंजाम दे रहा है, वो निश्चय ही काबिले तारीफ है।
इन्होंने बूट-पॉलिश करने के मुझसे 30/- मांगे, मैंने इनकी मेहनत और स्वाभिमान को महसूस कर 30/- से कहीं ज्यादा (उसे गुप्त दान समझा जाए) पैसों की पेशकश की तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि बाबू जी मेहनत से ज्यादा रुपये नहीं लूंगा, बिल्कुल नहीं। मेरे समझाने और आग्रह करने पर बड़ी मिन्नत के बाद अनन्त दुवाएँ देते हुए उन्होंने आखिर वो रुपये ले लिये। जिससे मुझे इतना सुकून मिला, जिसको बयां नहीं किया जा सकता।
मैं लाखों सलाम करता हूँ आपको सिमरू सिंह जी, आपने भिक्षावृत्ति या वृद्धाश्रम में आश्रय को न अपनाकर, मेहनतकश और मेहनतकशी का बेजोड़ उदाहरण हमारे सामने रखा, जिसको आज पुनः सबसे साझा कर रहा हूँ।
ये भावनाएं आप तक पहुँचेगी, इस आशा के साथ।
🙏🙏🙏
वहा सलाम करते है इन्हे कुछ सीखे इनसे आज के युवा ������������
ReplyDeleteबहुत खूब सर
ReplyDeleteबहुत कम बुजुर्ग ऐसे हैं सर जो इस तरह काम में लगे हुए हैं। वैसे ये दिन इनके आराम करने के चल रहे हैं। इनकी पारिवारिक स्थिति का तो खैर इन्हे ही पता है लेकिन इनकी मेहनतकश जिंदगी उदाहरण है।
ReplyDeleteमेरे जीवन मे ऐसे काफी बुजुर्ग हैं जो अभी भी काम करते है।मानो ऐसा लगता है कि उन्होंने कभी हार मानना सीखा ही नहीं ।हमें उनसे सीख लेनी चाहिए ।
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteमैं तो यही सोचता हूँ कि मरते दम तक कभी खाली न बैठूंगा चाहे जो भी हो।
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