फिल्म:छलांग
कलाकार : राजकुमार राव, नुसरत भरुचा, मोहम्मद जीशान अयूब, सौरभ शुक्ला, सतीश कौशिक, बलजिंदर कौर
निर्देशक :हंसल मेहता
राजकुमार राव और नुसरत भरुचा स्टारर फिल्म छलांग अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुकी है। इस फ़िल्म का मुझे विशेष रूप से इंतजार था। जिंदगी में हिम्मत ना हारना जैसी सीख बहुत सी जगह से मिलती रहती है। लेकिन बात तब बनती है जब हम उस सीख को अपने जीवन में धारण कर पाएं। क्योंकि जब तक हम खुद अपने लिए कुछ नहीं करते तब तक दूसरों का बोलना जाया ही जाता है। अपने हालातों को बेहतर बनाने, आगे बढ़ने, की सीख यह फ़िल्म देती है।
इधर बॉलीवुड में खेलों पर आधारित कई फिल्में आई हैं। और अमूमन हर खेल से जुड़ी फ़िल्म में जज्बा विशेष रूप से देखने को मिलता है।
फिल्म की कहानी हरियाणा के एक गाँव से शुरू होती है जहां महेंद्र हुड्डा उर्फ मोन्टू यानी राजकुमार राव एक सरकारी स्कूल का पीटीआई टीचर है। मोन्टू की जिंदगी बड़े आराम से कट रही है। वो स्कूल के बच्चों को कभी-कभी कुछ सिखा देता है अन्यथा खेल के मैदान में बैठा बस टाइमपास करता रहता है। मोन्टू ने अपनी जिंदगी में अभी तक कुछ बड़ा नहीं किया है। वह हर चीज को अधूरा छोड़ देता है। और तो और उसकी नौकरी भी उसे अपने पिता के कहने पर उसी स्कूल में मिली है, जिसमें वो बचपन में पढ़ा था।
मोन्टू की दोस्ती उसी के स्कूल टीचर वेंकट यानी सौरभ शुक्ला से है। सब सही चल रहा है लेकिन उसकी जिंदगी स्कूल में नीलिमी मैडम यानी नुसरत भरुचा के आते ही बदलने लगती है। नीलिमा जो एक कंप्यूटर टीचर है, को पटाने के लिए मोन्टू कोशिशें करने लगता है। लेकिन अब प्रेमी कहानी शुरू हुई है तो विलेन भी होगा ही। यहां आते हैं नये पीटी टीचर मिस्टर सिंह यानी मोहम्मद जीशान अयूब। मिस्टर सिंह के आने से मोन्टू की नौकरी, छोकरी और इज्जत सब छिनने की कगार पर आ जाती है। ऐसे में अपना हीरो क्या फैसला लेता। और वह स्पोर्ट्स के कौन-कौन से कम्पटीशन लड़ने का फैसला करता है जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी। इसके अलावा खेल देखते हुए आपके मनोभाव भी उसी दिशा में गोते खाने लगते हैं। और आप भी चाहते हैं कि अपना हीरो जीते।
ख़ैर परफॉरमेंस की बात करें तो राजकुमार राव बॉलीवुड के उन एक्टर्स में से हैं, जो आपको कभी निराश नहीं करते। उन्हें कोई भी रोल दे दिया जाए वो उसे बहुत आराम से निभा जाते हैं। छलांग में भी उन्होंने ऐसा ही किया है। इसके अलावा नीलिमा के रोल में नुसरत भरुचा ने अच्छा काम किया है। उनका रोल भले ही छोटा रहा हो लेकिन उनका काम और अंदाज देखने लायक है।
बात सपोर्टिंग किरदारों की हो तो मोन्टू के पिता के रोल में सतीश कौशल, दोस्त और टीचर के रोल में सौरभ शुक्ला, मां के रोल में पंजाबी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा बलजिंदर कौर और स्कूल की प्रिंसिपल के रोल में ईला अरुण ने कमाल का काम किया है। किसी भी सीन में ये मंझे हुए एक्टर्स आपको निराश नहीं करते। फिल्म के 'विलेन' मिस्टर सिंह के रोल में मोहम्मद जीशान अयूब ने भी बढ़िया काम किया है। स्कूल के बच्चों की तारीफ विशेष रूप से करनी होगी वे सभी कमाल के थे। यदि कहूँ कि उन्होंने ही इस फिल्म में जान डाली है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
डायरेक्टर हंसल मेहता जानते हैं कि इतनी बढ़िया स्टारकास्ट के लिए उन्हें अच्छी कहानी चाहिए और उन्होंने वही दर्शकों को दी भी है। फ़िल्म की कहानी लव रंजन ने लिखी है और बहुत समय बाद लव रंजन की लिखी कहानी में कोई लड़की लड़के को ठगने का काम नहीं कर रही है। स्कूल और पीटी टीचर की जिंदगी, हरियाणा के गांव और अन्य सेट को हंसल मेहता ने करीने से दिखाया है। फिल्म का म्यूजिक बढ़िया है। बैकग्राउंड स्कोर खास करके खेल के समय लाजवाब बन पड़ा है। फ़िल्म में कुछ कमियां भी नजर आती हैं। लेकिन उन्हें नजरअंदाज करके इसे देखा जाए तो एक एंटरटेनिंग है और जीवन की सीख देकर जाती है।
अपनी रेटिंग 3.5
Review By Tejas Poonia
Chhalawg film ki behad satik , sankshipt , sarthak samiksha , bahut badhai Pooniya ji.
ReplyDeleteशुक्रिया राजेन्द्र सर
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