Tuesday, January 12, 2021

स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता

 


आज का युवा जाग कर उठ तो चुका है, परन्तु वो उल्टी दिशा में उल्टे लक्ष्य की ओर दौड़ रहा है। 



बाकी स्वामी जी के विचार भी आज भी प्रासंगिक हैं, परन्तु खेद है कि जिस प्रकार उनके विचारों का युवाओं के बीच प्रसार प्रचार होना था, नहीं हो सकें। इसके विपरीत हमारे युवाओं को जानबूझकर धर्म-जाति-सम्प्रदाय के नाम पर उल्टे लक्ष्य की ओर भगाया जा रहा है। हमेशा के तरह राजनैतिक लोग युवाओं पर ही अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। वर्तमान शिक्षा और रोजगार की बुरी स्थिति से सभी वाकिफ है। यह भी युवाओं के भटकाव की मुख्य वजह है। इतना ही नहीं गत वर्षों में हमारे युवाओं को जिस प्रकार धर्म और जाति के नाम पर अंधविश्वासी और कट्टर बनाया जा रहा है, इसका दुष्प्रभाव देखने भी आने लगे हैं। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, जो ये सब कर रहे हैं उनके खुद के बच्चे देश- विदेश के बड़े बड़े संस्थाओं में अपने भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। 

ये जिम्मेदारी हर उस कामयाब और लक्ष्य प्राप्ति कर चुके व्यक्ति को लेनी होगी, कि वह कम से कम एक युवा को उसके सही लक्ष्य की ओर अग्रसारित करें। तभी स्वामी जी कप असल रूप में हम अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। स्वामी जी की तरह हर युवा यदि अपने लिए सद्गुरु की तलाश कर उनके प्रति पूर्णतः समर्पित हो जाए तो उसकी सभी समस्याएं यूँ ही दूर हो जाएगी। लेकिन शर्त यही है कि इसके लिए नरेंद्र बनना होगा, तभी राम कृष्ण परमहंस जैसे गुरु की उपलब्धि होगी।


स्वामी विवेकानंद जी जन्मदिवस के सुअवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।





धन्यवाद


डॉ० राम भरोसे
(एम.ए. हिन्दी, यू.जी.सी. नेट, पीएचडी, एम.ए. संस्कृत)
असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी)
राजकीय महाविद्यालय पोखरी (क्वीली)
टिहरी गढ़वाल-249146 (उत्तराखण्ड)
9045602061, 9719177319

7 comments:

  1. बहुत खूब।
    सुंदर कथन युक्त एक बात जो भूलों को भी रस्ता दिखा दे। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. संक्षेप में मगर सारगर्भित तथ्य जो युवाओं को प्रेरित करेगा।

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  4. अति सुन्दर लेख, स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से नयी पीढ़ी को अवगत कराने के लिए भरसक प्रयास करने चाहिये

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