Tuesday, August 21, 2018

तीसरी ताली : कविता

***मेरी ये पंक्तियाँ पूरे विश्व के समस्त थर्ड जेंडर्स/
ट्रांस्जेंडर्स को दिल की गहराई से समर्पित ***



"तीसरी ताली''


ताली
तेरी हो मेरी हो
आवाज़ भले ही उसमें हो
पर होती वो खाली है.
मगर एक होती ‘तीसरी ताली’
न नर की न ही नारी की
ये होती अर्धनारीश्वर की
यानि ‘हिजड़ों’ की.
‘तीसरी ताली’ में छिपा
दर्द-पीड़ा-कराहट
फिर भी
इनमें संगीत है बजता.
‘तीसरी ताली’ कभी होती नहीं खाली
इसमें भरा होती
हम सबके लिए
खुशियाँ, मंगल गान और दुवाएँ
पर, इनकी इस ताली में
क्या तुम्हें कभी दिखे
खून के छींटे,
और
गौर से कभी देखें
इनके तिरस्कृत चेहरें.
या कभी एह्सास किया है
इनके तिरस्कारों को


21 comments:

  1. सुन्दर कविता. शब्द की महिमा को बाखूबी बयान करते शब्द …
    शब्द ही माध्यम हैं अभिव्यक्ति के … परन्तु यह एक कड़वा सच्च है इस समाज का

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  2. देकर वाणी आपने
    रू-ब-रू करवाया
    तीसरी ताली के महत्व का।।
    जिसे बोलने में
    लोग हिचकिचातें हैं
    शर्माते हैं...।।
    हो अगर,
    जन्म...
    किसी के घर
    अर्धनारीश्वर...का...,
    तो उसे
    अपना कहने से
    घबराते हैं।।
    क्या होगा??
    इस देश का,
    समाज का,
    उस परिवार का
    जो,
    अपने कोख़ के बच्चें
    पहचानने से
    अस्वीकारते है।।
    .........सीमा.....

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    1. कड़वा सच्च.. समाज निशब्द.

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  3. शुक्रिया सीमा जी,

    वाह! सटीक और संवेदनशील जवाब।

    निशब्द

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  4. This comment has been removed by the author.

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    1. आपकी सोच ओर विचारों को मेरा सलाम सर

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  5. बहुत सुंदर कविता सर.....

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  6. अर्धनारीश्वर को संमज पाना इतना आसान नही है हर किसी के बस में समझना भी नही है वह दूसरों की खुसी के लिए दुवाएं करते है और किसी ने उनको समजा नही तो फिर उनकी आत्मा दुखती है और फिर वही होतो है जो हर किसी जीव की दुखाने की बाद होता है ।

    बहुत सुन्दर 🙏🙏🙏🙏

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    1. अर्द्धनारीश्वर भारत के पौराणिक (पुरानिक, पुराने) सनातनधर्म साहित्य के काल्पनिक पात्र चरित्र शंकर हैं। जिनके प्रचलित नाम शिव, भोलेनाथ, महादेव, जटाशंकर, भोलेभंडारी, त्रिनेत्रधारी व अन्य आदि हैं। वास्तव में, मनुष्य में २३×२=४६ गुणसूत्र होते हैं। कुछ में ४७ गुणसूत्र होते हैं और वे अत्यंत कामी-क्रोधी होते हैं। आत्मनियंत्रण पश्चात वे अर्द्धनारीश्वर शिव के करीब होते हैं।

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  7. अर्धनारीश्वर को संमज पाना इतना आसान नही है हर किसी के बस में समझना भी नही है वह दूसरों की खुसी के लिए दुवाएं करते है और किसी ने उनको समजा नही तो फिर उनकी आत्मा दुखती है और फिर वही होतो है जो हर किसी जीव की दुखाने की बाद होता है ।

    बहुत सुन्दर 🙏🙏🙏🙏

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  8. सर आप समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे ह आपको सलाम 🙏

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  9. Bhot khub Likha h Bhai
    3rd gender ke pain ko bhot ache se dikhaya
    Proud Of u Bhai
    Aise hi work krte rho
    We are with u
    God bless u

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  10. बेहद उम्दा कविता है सर। जीवन की आपाधापी में पुरुष और स्त्री से इतर कुछ सोचने का अवसर ही नहीं मिलता। आपने उस पीड़ा को आवाज दी है, जो सभी जगह से तिरस्कृत रही है। मैं आपकी इस कविता को सलाम करता हूँ। आपकी ऊर्जावान दृष्टि ने उनकी पीड़ा को जनसम्मुख लाने का स्तुत्य प्रयास किया है। आपको कोटिशः बधाई मित्र।

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    1. शुक्रिया सर, आपके इन शब्दों से ऊर्जा का संचार होना स्वाभाविक है। एक छोटा सा प्रयास है, आपकी शुभकामनाएं इसी प्रकार रही तो, जल्द आपको इस विषय पर काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा सर।

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  11. धन्यबाद सर

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  12. धन्यबाद सर

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