***मेरी ये पंक्तियाँ पूरे विश्व के समस्त थर्ड जेंडर्स/
"तीसरी ताली''
ताली
तेरी हो मेरी हो
आवाज़ भले ही उसमें हो
पर होती वो खाली है.
मगर एक होती ‘तीसरी ताली’
न नर की न ही नारी की
ये होती अर्धनारीश्वर की
यानि ‘हिजड़ों’ की.
‘तीसरी ताली’ में छिपा
दर्द-पीड़ा-कराहट
फिर भी
इनमें संगीत है बजता.
‘तीसरी ताली’ कभी होती नहीं खाली
इसमें भरा होती
हम सबके लिए
खुशियाँ, मंगल गान और दुवाएँ
पर, इनकी इस ताली में
क्या तुम्हें कभी दिखे
खून के छींटे,
और
गौर से कभी देखें
इनके तिरस्कृत चेहरें.
या कभी एह्सास किया है
सुन्दर कविता. शब्द की महिमा को बाखूबी बयान करते शब्द …
ReplyDeleteशब्द ही माध्यम हैं अभिव्यक्ति के … परन्तु यह एक कड़वा सच्च है इस समाज का
धन्यवाद लक्ष्मण भाई,
Deleteसुंदर कविता
ReplyDeleteशुक्रिया मित्र
Deleteदेकर वाणी आपने
ReplyDeleteरू-ब-रू करवाया
तीसरी ताली के महत्व का।।
जिसे बोलने में
लोग हिचकिचातें हैं
शर्माते हैं...।।
हो अगर,
जन्म...
किसी के घर
अर्धनारीश्वर...का...,
तो उसे
अपना कहने से
घबराते हैं।।
क्या होगा??
इस देश का,
समाज का,
उस परिवार का
जो,
अपने कोख़ के बच्चें
पहचानने से
अस्वीकारते है।।
.........सीमा.....
कड़वा सच्च.. समाज निशब्द.
Deleteशुक्रिया सीमा जी,
ReplyDeleteवाह! सटीक और संवेदनशील जवाब।
निशब्द
धन्यवाद मित्र
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ReplyDeleteआपकी सोच ओर विचारों को मेरा सलाम सर
Deleteबहुत सुंदर कविता सर.....
ReplyDeleteअर्धनारीश्वर को संमज पाना इतना आसान नही है हर किसी के बस में समझना भी नही है वह दूसरों की खुसी के लिए दुवाएं करते है और किसी ने उनको समजा नही तो फिर उनकी आत्मा दुखती है और फिर वही होतो है जो हर किसी जीव की दुखाने की बाद होता है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 🙏🙏🙏🙏
अर्द्धनारीश्वर भारत के पौराणिक (पुरानिक, पुराने) सनातनधर्म साहित्य के काल्पनिक पात्र चरित्र शंकर हैं। जिनके प्रचलित नाम शिव, भोलेनाथ, महादेव, जटाशंकर, भोलेभंडारी, त्रिनेत्रधारी व अन्य आदि हैं। वास्तव में, मनुष्य में २३×२=४६ गुणसूत्र होते हैं। कुछ में ४७ गुणसूत्र होते हैं और वे अत्यंत कामी-क्रोधी होते हैं। आत्मनियंत्रण पश्चात वे अर्द्धनारीश्वर शिव के करीब होते हैं।
Deleteअर्धनारीश्वर को संमज पाना इतना आसान नही है हर किसी के बस में समझना भी नही है वह दूसरों की खुसी के लिए दुवाएं करते है और किसी ने उनको समजा नही तो फिर उनकी आत्मा दुखती है और फिर वही होतो है जो हर किसी जीव की दुखाने की बाद होता है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 🙏🙏🙏🙏
सर आप समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे ह आपको सलाम 🙏
ReplyDeleteBhot khub Likha h Bhai
ReplyDelete3rd gender ke pain ko bhot ache se dikhaya
Proud Of u Bhai
Aise hi work krte rho
We are with u
God bless u
धन्यवाद भाई, खुश रहो
Deleteबेहद उम्दा कविता है सर। जीवन की आपाधापी में पुरुष और स्त्री से इतर कुछ सोचने का अवसर ही नहीं मिलता। आपने उस पीड़ा को आवाज दी है, जो सभी जगह से तिरस्कृत रही है। मैं आपकी इस कविता को सलाम करता हूँ। आपकी ऊर्जावान दृष्टि ने उनकी पीड़ा को जनसम्मुख लाने का स्तुत्य प्रयास किया है। आपको कोटिशः बधाई मित्र।
ReplyDeleteशुक्रिया सर, आपके इन शब्दों से ऊर्जा का संचार होना स्वाभाविक है। एक छोटा सा प्रयास है, आपकी शुभकामनाएं इसी प्रकार रही तो, जल्द आपको इस विषय पर काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा सर।
Deleteधन्यबाद सर
ReplyDeleteधन्यबाद सर
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