Thursday, September 12, 2019

अथ: श्री किन्नर कथा भाग 2


किन्नर कथा भाग 2 के लिखने की प्रेरणा बनी बलिया की ट्रांसजेंडर 'किन्नर सिंह'। अपने शोध के दौरान इनसे मुलाकात हुई। स्वभाव से चुलबुली, हँसमुख, समझदार, जीवन मे कुछ कर गुजरने की इच्छा रखने वाली, भावुक, तमाम दुखों के चलते हमेशा हँसती रहने वाली और इनका सबसे प्रभावित करने वाली बात इनके 'किन्नर' होने के बाद भी आम आदमी से कही ज़्यादा आम समाज की समझ रखने वाली, उनके साथ घटित समस्याओं के प्रति संवेननशील, कुछ ऐसा सा है सिमरन सिंह जी का व्यक्तित्त्व।  हमेशा ऊर्जा से भरे रहने और जीवन में कभी न रुकना, न हार मानना और सदैव चलते रहने की प्रेरणा से भरपूर है इनका जीवन।
खैर यह बात तो 'तीसरी ताली' ब्लॉग के माध्यम से जारी रहेगी ही। हम बात कर रहे थे सिमरन सिंह की।
इन्होंने अपना घर छोड़ा और चल पड़ी अपनी नई दुनिया में, जो इनके जैसों के लिए ही थी। परंतु महाराष्ट्र में यह अपनी पहली गुरु (नाम लिखना उचित नहीं) से जब मिली, तो इन्हें उनसे बहुत कटु अनुभव हुए, किस प्रकार इन्हें ट्रेनों में भीख मांगना सीखाया और ऐसा करने भी इन्हें मजबूर किया जाता था और न करने पर तरह तरह की यातनाएं दी जाती थीं। इन्होंने बताया कि उनकी उस गुरु ने किस प्रकार इनका मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण किया, जिससे तंग आकर इन्होंने उस गुरु का घर छोड़ दिया।


LGBT समुदाय से जुड़े सभी के लिए अपनी सामान्य पहचान से अलग पर एक सामान्य पहचान बनाने के लिए कितना कठिन होता है, यह तभी जान सकते हैं जब इनके करीब आकर इन्हें जानने-समझने की कोशिश करें। हमें तो अपनी ही फुर्सत नहीं होती फिर इनके बारे में तो सोच ही पहुंच कहाँ पाती। इनके नाचने-गाने, बधाई या भीख मांगने से हटकर कभी इनको यह आम-सभ्य समाज देखता भी नहीं और देखना भी नहीं चाहता। इनके व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन से हमें कोई सरोकार नहीं। वैसे भी हम अपने से भीतर कभी निकल पाएं तो ही तो इन तक पहुंचे।  कभी हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि इनको एक आम व्यक्ति की तरह अपनी पहचान बनाने हेतु कितना संघर्ष करना पड़ता है, इस तथाकथित सभ्य समाज मे जानवरों के जैसे इन्हें ट्रीट किया जाता है। इनका सुख, दुख-तकलीफ सिर्फ इनकी ही हैं और इन तक ही सीमित हैं। इनका जन्म 06.06.1986 को राजनगर, मधुबनी जिला बिहार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। इनके पिता मुंबई की एक फार्मसूटेकल कम्पनी में बतौर मशीन ऑपरेटर काम करते थे। सिमरन अपने परिवार में 2 बहने और 3 भाई थे।  बचपन में सभी आम बच्चों के जैसे इनको भी माँ-बाप, भाई-बहन का प्यार मिला। पर जल्द ही यह प्यार तिरस्कार, नफरत और मारपीट में बदल गया।

फिलहाल सिमरन बलिया उत्तर प्रदेश ने रहती हैं। अनस किराये के मकान में अकेली रहती हैं औऱ 'बधाई' से अपना जीवन-यापन कर रही हैं।

सिर्फ यहाँ बात खत्म नहीं बल्कि शुरू होती है।

इनके जन्म पर इनके घर बहुत खुश था क्योंकि इनके जन्म लेते ही इनके पिता की नौकरी लगी इसलिए इन्हें परिवार सौभाग्यशाली मानते थे। इनके पिता इनसे बहुत प्यार करते थे और इनके पढ़ाई में अच्छा होने के कारण इनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान भी देते थे। सिमरन कहती हैं कि अचानक उनका और घर वालों का व्यवहार भी उनके प्रति क्यों बदल गया उन्हें समझ नहीं आया। समझ इसलिए भी नहीं आया कि सुमरन खुद ही अपने को पहचानने की जद्दोजहद में लगी थी कि वो कौन है स्त्री या पुरुष या कुछ और।
ऐसे समय जब किसी बच्चे को अपने परिवार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, धीरे-धीरे उसके पिता और भाई उसके प्रति क्रूर होने लगे, पिता अकारण ही उसकी खूब पिटाई करते थे। बच्ची सिमरन को भी कुछ समझ आता कि ये क्रूर व्यवहार क्यों किया जा रहा है उसके साथ। पर वो कर भी क्या सकती थी। 9वीं के बाद उसकी पढ़ाई जारी नहीं रह सकी। अच्छा तेज दिमाग होने के कारण भी उसे पढ़ाई से दूर तो कर ही दिया और एक समय के बर्फ जब सिमरन ने खुद को पहचान अपने व्यक्तितत्व को स्वीकार कर लिया उन्होंने अपना घर, घरवालों की इज़्ज़त के लिए छोड़ दिया।  अक्सर इनके केस में देखा जाता है कि माँ-बाप दोनों के क्रूर हो जाते हैं, वैसा सिमरन के साथ भी था।



समाज के लोग हिजड़ों से परेशान,
हिजड़े लोग ट्रांस जेंडर सेक्स वर्कर से परेशान ।
ट्रांस जेंडर सेक्स वर्कर हिजड़ों और समाज के लोगों से परेशान ।
हर कोई किसी न किसी से परेशान ।
इन सब का एक ही समाधान वो है पढ़ाई लिखाई और रोजगार ।
समाज के लोगों को भी सामाजिक विषयों पर शिक्षित होना है और किन्नर समाज के दोनों वर्गों बधाई वाले और सेक्स वर्कर को पढ़ कर आगे बढ़ना होगा तभी यह नफ़रत की आग शांत होगी ।
किन्नर यानी किस तरह का नर । जिसका शरीर नर का और दिमाग औरत का हो । खुसरा जिसका पूरा मतलब ख्वाजा सरा है । हिजड़ा मतलब हिजर यानी बिछुड़ना या अलग होना । ट्रांस जेंडर मतलब जेंडर को बदलना । यह सब एक ही इंसान को बोला जाता है जो कि एक मर्द शरीर में पैदा हुआ हो और अपने को औरत मानता हो । लेकिन बाद में अपने लिंग को भेेदन करके हिजड़ों में चले जाने के बाद वह हिजड़ा हो जाता है । हिजड़ा एक परंपरा है जिसमे सिर्फ ट्रांस औरत यानी मर्द से औरत बनी हुई ही जाते हैं । औरत से मर्द बने लोग इसमें नहीं जाते और न ही वह बधाई मांगते है । 











एक किन्नर, ट्रांसजेंडर मित्र धनञ्जय चौहान का कहना है कि -

ट्रांस जेंडर , किन्नर और तमाम तरह के अलग अलग नाम से जाने वाले असल में एक लैंगिक  पहचान है। कुछ बाहरी शरीर Intersex (शारीरिक लिंग )से समाज द्वारा पहचाने जाते हैं और कुछ मनोवैज्ञानिक लिंग Psychological sex के द्वारा खुद की पहचान को समाज में स्थापित करते हैं । दोनों किन्नर में फर्क इतना सा ही है कि कुछ को जन्म से ही समाज द्वारा ट्रांस की पहचान मिल जाती है हालांकि यह भी विवादित विषय है क्यूंकि की यह intersex लोग भी बाद में खुद की पहचान स्थापित करते हैं और सहानुभूति द्वारा पहचान पा भी लेते हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या उन ट्रांस जेंडर की आती है जिनका शारीरिक लिंग मनोवैज्ञानिक लिंग से भिन्न होता है ।(biological sex is different than psychological sex) उनको लोग बचपन से एक अलग शरीर से जानते हैं और बाद में खुद को अलग जेंडर में बदल लेते हैं । यही लोग सबसे ज्यादा भेदभाव और हिंसा का शिकार होते हैं । किन्नर होना या ट्रांस जेंडर होना कोई अलौकिक घटना नहीं है यह एक प्राकृतिक घटना है । कोई जानबूझ के किन्नर नहीं बनता । ज्यादातर कहानी लिखने वाले लोग intersex जन्म से पैदा होने वाले किन्नर के बारे में लिखते हैं और बार बार किन्नर डेरे से जुड़ी कहानी लिखते है और उनको दया का पात्र बना देते हैं जबकि कहानी इससे बिल्कुल उलट है । डेरे में रहने वाले भी ट्रांस जेंडर ही होते हैं और उन लोगों ने भी जेंडर बदला होता है । यह कोई बुरी बात नहीं और न ही दया दिखाने जैसा कोई कारण । अगर सभी को स्वीकार कर लिया जाय तो फिर भीख मांगने की नौबत ही न आए । एक बात और बहुत ही कम लोग द्वी लिंगिय पैदा होते है इन्हीं लोगों के बारे में सोच कर हम सभी ट्रांस जेंडर को भी द्वि लिंगीय मान लेते हैं । लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ट्रांस जेंडर जान बूझ कर जेंडर बदलते हैं वह भी पैदाइशी तृतीय प्रकृति के लोग होते है लेकिन समाज इनके लैंगिक पहचान के कारण मर्द मान लेते है जबकि वह मर्द शरीर में औरत है । वहीं असली किन्नर भी है । इसको समझने के लिए आप सब या तो पढे लिखे किन्नर  के साथ जुड़ना होगा और सेमिनार वर्क शॉप में शामिल होना पड़ेगा तभी यह गुथी  समझ में आयेगी।
किन्नर समुदाय के प्रति नफरतों और उदासीनता लोगों के बीच आम हो गई है आये दिन किन्नर समुदाय के लोगों के साथ मारपीट एक रोजमर्रा की घटना हो गई है किन्नरों कि समस्याओं पर आधारित है ट्रान्सजेङर मॉडल मैग्जीन 2017 जैसा कि आप जानते हैं कि किन्नर को अंग्रेजी में ट्रांसजेंडर कहते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों में अशिक्षा बहुत है और किन्नर समुदाय के लोगों को इसकी वजह से बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसा कि आप जानते हैं ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज आज भी अच्छा और अच्छे नजर से नहीं देखता उन्हें अच्छे घर और अच्छे काम बिलकुल नहीं मिलता। ट्रान्सजेङर समुदाय के लोगों को कम पढ़े-लिखे होने के कारण अच्छी नौकरी नहीं के बराबर मिलती है जिसकी वजह से उन्हे समाज की ऐसे काम करने को मजबूर होना पढता है जो कि समाज में मान्य नहीं है ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को अक्सर ट्रेन में भिख मांगना और अपना जीवन यापन करना एक चुनौती है ट्रांसजेंडर समुदाय को मदद देने के लिए भरत कौशिक ङॅाकयूमेंट्री फिल्म मेकर् और सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा ट्रांसजेंडर माडल मैग्जीन जो कि आनलाइन है उसकी शुरुआत की गई है मैग्जीन का मुख्य उद्देश्य है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को समाज में समान और सम्मानजनक काम मिले मैग्जीन में हरेक ट्रान्सजेङर समुदाय के लोगों कि तस्वीर और उनके बारे में पोस्ट करके उसे सोशल नेटवर्किंग सोशल मीडिया में डाला जाता है ताकि ट्रांसजेंडर को उनके योग्यता अनुरूप सम्मानजनक काम और सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हो ट्रांसजेंडर माडल मैग्जीन में बिहार और देश के अलग अलग राज्य और विदेशों से भी ट्रांसजेंडर अपनी तस्वीरें और अपनी योग्यता डाल रहे हैं ट्रांसजेंडर माडल मैग्जीन यह एक साहसिक और क्रांतिकारी पहल है सामाजिक कार्यकर्ता भरत कौशिक ङॅाकयूमेंट्री फिल्म मेकर् है और पटना में उन्होंने मैग्जीन कि शुरुआत ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों कि मदद के लिए संघर्ष और कठिनाइयों को दूर करने के लिए मैग्जीन कि शुरुआत कि है।

 People of kinner Dera are richest person of country. But who are living in road side and not into badhai or begging are poorest of country.

सहायक प्राध्यापक (हिन्दी साहित्य एवं भाषा विज्ञान)
"हिन्दी विभागाध्यक्ष"
शहीद बेलमती चौहान राजकीय महाविद्यालय पोखरी (क्वीली) टिहरी गढ़वाल
उत्तराखंड 

14 comments:

  1. पढकर दुःख हुआ कि कैसें जमाने के डर से माँ बाप अपने ही बच्चे को छोड़ देते हैं जबकि उसे उस वक्त उन्हीं की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और उस पर ये समाज उन्हें तरह तरह की यातनाये देता है जिसमें कि उनकी कोई गलती नहीं है उनसे सहानुभूति न सही लेकिन उन्हें परेशान भी न करे

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी यही हमारे सभ्य समाज का सच है।
      शुक्रिया

      Delete
  2. वहा सलाम करते है इन्हे, लेकिन इनके परिवार वालो नेअच्छा नही किया इनके साथ दुर्व्यवहार करके!
    मेरे गांव में भी एक किन्नर लड़की ने जन्म लिया, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे पढ़ना - लिखना सीखाया फिर उसकी शादी कर दी गई ऐसे व्यक्ति से जो बाप नही बन सकता उसने बच्चा गोद ले लिया वो खुशी से जीवन जी रही है ।
    भगवान सब किन्नरों को ऐसे मात -पिता दे जो उन्हे अपनाये अगर परिवार वाले ही दुर्व्यवहार करेंगे समाज तो अंधा है , अगर परिवार वाले ही किन्नरों को अपनाये तो उन्हेंभीख मांगना, नाचना ना पड़े ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी संवेदनशीलता के लिए धन्यवाद। बहुत गहराई से आपने मेरे लेख पढ़ें हैं।

      Delete
  3. पढकर बहुत बहुत हि दुःख हुआ कि कैसें जमाने के डर से माँ बाप अपने ही बच्चे को छोड़ देते हैं जबकि उसे उस वक्त उन्हीं की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और उस पर ये समाज उन्हें तरह तरह की यातनाये देता है जिसमें कि उनकी कोई गलती नहीं है उनसे सहानुभूति न सही लेकिन उन्हें परेशान भी न करे वैसे सरकार भी इनपर ध्यान दे और उनेह भी एक समान अधिकार दे और समाज में उनकी भी प्रतिष्ठा बनी रहे

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने । यह हिम्मत और इस मुद्दे पर शोध के लिए बधाई

    ReplyDelete
  5. Trapped in wrong body...these people are (me too) are as normal as males and females..but if a family doesn't accept such innocent child,then where the poor child will go?Family literally THROWS this child for no offense and Struggles raise the child.Just think your self in this situation and then only you will realise hardships of such child.... At that stage this child is a Blank Paper and normally Hijra Group accepts and raises this child and the mark Hijra gets printed on that Blank Paper...to remove this mark Hijra becomes hard from this Paper...The non educated child after growing up has no alternative other thanBADHAI,,DANCE and BEGGING...Very few families are there who accept such child as normal and support their child for transition after their child's mature...Again,,in the beginning stage ,all LGBT children are similar,but their classes differ along their growing up....People Must amd Must respect All LGBT People...If people accept them and hire them in different Jobs then no LGBT will be disappointed and willbe able to live theit life with peace....l am too willing for transition and live as Female nearly for 24 hrs....Hope peoplewill become +ve towards LGBTs and also...IT IS DUTY OF THE GOVERNMENT TO CREATE JOBS FOR ELIGIBLE LGBTs IN GOVT.AS WELL AS IN PRIVATE SECTORS.....About upto 5℅ jobs reservatio will CHANGE THE WHOLE PICTURE.......Thanks.

    ReplyDelete
  6. Trapped in wrong body...these people are (me too) are as normal as males and females..but if a family doesn't accept such innocent child,then where the poor child will go?Family literally THROWS this child for no offense and Struggles raise the child.Just think your self in this situation and then only you will realise hardships of such child.... At that stage this child is a Blank Paper and normally Hijra Group accepts and raises this child and the mark Hijra gets printed on that Blank Paper...to remove this mark Hijra becomes hard from this Paper...The non educated child after growing up has no alternative other thanBADHAI,,DANCE and BEGGING...Very few families are there who accept such child as normal and support their child for transition after their child's mature...Again,,in the beginning stage ,all LGBT children are similar,but their classes differ along their growing up....People Must amd Must respect All LGBT People...If people accept them and hire them in different Jobs then no LGBT will be disappointed and willbe able to live theit life with peace....l am too willing for transition and live as Female nearly for 24 hrs....Hope peoplewill become +ve towards LGBTs and also...IT IS DUTY OF THE GOVERNMENT TO CREATE JOBS FOR ELIGIBLE LGBTs IN GOVT.AS WELL AS IN PRIVATE SECTORS.....About upto 5℅ jobs reservatio will CHANGE THE WHOLE PICTURE.......Thanks.

    ReplyDelete
  7. The above Comment l have done for my support towards LGBTs.

    ReplyDelete
  8. The above Comment l have done for my support towards LGBTs.

    ReplyDelete
  9. आपने इनकी भी पीड़ा को समझा सर और लिख दिये इनके भी लेख जिनको हमारा समाज हेय की दृष्टि से देखता है बहुत अच्छा सर ।

    ReplyDelete